अब आपने ख्वाबो मे आना भी बंद कर दिया है,
शायद तनहाई ने रंग दिखाना शुरु कर दिया है,
युतो लिखा कारतेथे हम आपकी याद मे
अब तो कलमने भी रोना शुरु कर दिया है.
हवा का रुख युही नही बदलता,
उसेभी पर्वतोसे टकराना होता है,
पर न जाने ये मौसम क्यु बदल गया है,
शायद आपकी यादोने रुख मोड दिया है,
आज कल आपने ख्वाबो मे आना भी बंद कर दिया है.
आपकी यादे दिया करती कभी साथ हमारा, तनहाई मे अब ना हो गुजारा,
साथ आपका था जैसे शितल नदियाकी धारा, प्रेम आपका हमारा साहारा,
आज सिर्फ वो बाते बची है, इस जिंदगी की चंद सासे बची है,
अब इन्होने भी साथ छोडना शुरु कर दिया है,
अब तो आपने भी ख्वाबोमे आना बंद कर दिया है.
एक हा के इंतजार मे जिया करते थे अबतक,
मानो आपकी सांसो की ही जैसे होती हमारे दिल मे दस्तक,
आशाये तो हमारी आज भी जिंदा है, दिल जैसे प्यासा परिंदा है,
आपको पाने की प्यास उसे आज भी है, वो याद आज भी है,
बस उन लम्हो का दिखना बंद हो गया है,
अब तो आपने ख्वाबोमे आना बंद कर दिया है.
शायद हमारी ही गलती थी, प्यार करणा जाज्दी थी,
अब तो बस आसु बाहाया करते है, छुपछुपाकर रोया करते है, ख्वाबो के लिये चादर बिछाये सोया करते है,
रातो को निंद ना आने से परेशान थे कभी, अब तो बस निंद तुटनेका इंतजार किया करते है,
अब ना कहेने को इतनाही बचा है,
आपने ख्वाबो मे आना बंद कर दिया है.
-सौरभ घनश्याम कावळे.
शायद तनहाई ने रंग दिखाना शुरु कर दिया है,
युतो लिखा कारतेथे हम आपकी याद मे
अब तो कलमने भी रोना शुरु कर दिया है.
हवा का रुख युही नही बदलता,
उसेभी पर्वतोसे टकराना होता है,
पर न जाने ये मौसम क्यु बदल गया है,
शायद आपकी यादोने रुख मोड दिया है,
आज कल आपने ख्वाबो मे आना भी बंद कर दिया है.
आपकी यादे दिया करती कभी साथ हमारा, तनहाई मे अब ना हो गुजारा,
साथ आपका था जैसे शितल नदियाकी धारा, प्रेम आपका हमारा साहारा,
आज सिर्फ वो बाते बची है, इस जिंदगी की चंद सासे बची है,
अब इन्होने भी साथ छोडना शुरु कर दिया है,
अब तो आपने भी ख्वाबोमे आना बंद कर दिया है.
एक हा के इंतजार मे जिया करते थे अबतक,
मानो आपकी सांसो की ही जैसे होती हमारे दिल मे दस्तक,
आशाये तो हमारी आज भी जिंदा है, दिल जैसे प्यासा परिंदा है,
आपको पाने की प्यास उसे आज भी है, वो याद आज भी है,
बस उन लम्हो का दिखना बंद हो गया है,
अब तो आपने ख्वाबोमे आना बंद कर दिया है.
शायद हमारी ही गलती थी, प्यार करणा जाज्दी थी,
अब तो बस आसु बाहाया करते है, छुपछुपाकर रोया करते है, ख्वाबो के लिये चादर बिछाये सोया करते है,
रातो को निंद ना आने से परेशान थे कभी, अब तो बस निंद तुटनेका इंतजार किया करते है,
अब ना कहेने को इतनाही बचा है,
आपने ख्वाबो मे आना बंद कर दिया है.
-सौरभ घनश्याम कावळे.
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