आज बदलाव का बिगुल बज रहा है..
चार चमचे आपसमे टकरा रहे है..
महोल तो वही है बस शख्स दूसरे नजर आ रगे है..
कल शायद ये भी बदलेगा नया उजाला आयेगा..…!
आज कोइ जात नही धर्म नही बल्की घर रसोइ की बाते
हो रही है...
पता नही कब खाना पकेगा भुखा कब खायेगा..
पर बदलाव जरुर आयेगा..
कल शायद ये भी बदलेगा नया उजाला आयेगा.....!
कल कोइ बता रहा था, नया जादु होगा
कही लहर चलेगी तो कही सुखा होगा,
न जाने कोण किसको खयेगा पर बदलाव जरुर
आयेगा....
कल शायद हे भी बदलेगा नया उजाला आयेगा...!
आज फीर वही हुआ, नोट को वोट दिया
कही शराब चली तो कही राम नाम काम आया
अब चाहे जो होगा पर बदलाव जरुर आयेगा
कल शायद ये भी बदलेगा नया उजाला आयेगा....!
आज आसमान मे बदल आये, सुरज को ढका और
अंधेरा कर गये
सार मंजर ही पलट गय, सब अंधकारमय हो
गया
अब न जाने कब ये छटेगा पर बदलाव जरुर आयेगा
कल शायद ये भी बदलेगा नया उजाला आयेगा...!
कल कही मै
रहू या ना रहू, आज का दीन तो नही आयेगा
रोशनी होगी अंधेरा जायेगा, सोया
युआ फिरसे जाग जायेगा
खून से अभिषेक और रक्त से तीलक किया जायेगा..
कल शायद ये भी बदलेगा नया उजाला आयेगा...!
Saurabh Ghanshyam Kawale